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आयकर रिटर्न 2024: क्या पुरानी आयकर नियम इस बार अधिक फायदेमंद है? इन 4 कदमों में रिजीम बदलें”

आयकर रिटर्न
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“केंद्रीय बजट 2023-24 में इस बार टैक्सपेयर्स के लिए कुछ खास निकलकर नहीं आया। न्यू टैक्स रिजीम अब डिफॉल्ट रिजीम बन चुका है, लेकिन अभी भी इस रिजीम में बहुत से टैक्स बेनेफिट्स शामिल नहीं किए गए हैं। इस कारण, एक बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स अभी भी अपनी आयकर रिटर्न ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत फाइल करने के प्रवृत्ति में हैं।

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अगर आपने पिछले साल न्यू टैक्स रिजीम के तहत अपना आईटीआर फाइल किया है, लेकिन इस बार निवेश बढ़ाए हैं या फिर होम लोन लिया है, तो इनपर छूट पाने के लिए आपको ओल्ड टैक्स रिजीम में आईटीआर फाइल करना होगा। इसके लिए आप अपना टैक्स रिजीम स्विच कर सकते हैं।”

आयकर रिटर्न”टैक्स रिजीम स्विच करने के नियम क्या हैं?”

“बजट-2023 में new टैक्स रिजीम को डिफॉल्ट करार दिया गया था।इसको ऐसे समझते है कि अगर आप खुद से अपना टैक्स रिजीम नहीं चुनते हैं, तो आपका टैक्स अपने आप new tax रिजीम के तहत ही जुड़ जायेगा होगा।

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लेकिन आपके पास यह अधिकार है कि आप ITR भरने के ड्यू डेट के पहले अपना टैक्स रिजीम स्विच कर सकें। सैलरीड इंप्लॉई के पास यह विकल्प होता है कि वे हर वित्त वर्ष पर अपना टैक्स रिजीम बदल सकें, जबकि बिजनेस इनकम वालों के लिए यह ऑप्शन एक ही बार मिलेगा कि वे टैक्स रिजीम स्विच करें।”

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आयकर एक महत्वपूर्ण विषय है जो हर देश के राजनीतिक और आर्थिक प्रणाली का हिस्सा है। यह निर्धारित करने के लिए होता है कि एक व्यक्ति या व्यापार कितना कर देना चाहिए, जो सरकार को आवश्यक धन संग्रहित करने में मदद करता है। यह एक विशेष प्रकार का कर है जो किसी व्यक्ति या व्यापार की कमाई पर लगाया जाता है और इसे देश की विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए उपयोग किया जाता है।

आयकर रिटर्न

आयकर की अहमियत: आयकर का महत्व समझने के लिए, हमें इसके कुछ मुख्य उद्देश्यों को समझना चाहिए। पहला उद्देश्य सरकार को आवश्यक धन संग्रहित करना है, ताकि वह समाज के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान कर सके। दूसरा उद्देश्य निराधार और निष्पक्ष व्यवस्था का निर्माण करना है, जिससे समाज में सामाजिक और आर्थिक समानता का बढ़ावा हो सके।

आयकर प्रणाली कैसे काम करती है: आयकर प्रणाली विभिन्न प्रकार के करों को संग्रहित करती है जो व्यक्ति या व्यापार की आय से लगाए जाते हैं। यह कर विभिन्न रूपों में हो सकते हैं, जैसे की आयकर, वस्त्र निरीक्षक कर, सेवा कर, व्यक्तिगत लाभ कर आदि। आयकर प्रणाली के तहत, व्यक्ति या व्यापार संबंधित प्रमाण पत्रों को भरकर सरकार को आय की जानकारी प्रदान करते हैं, और सरकार इस आय के आधार पर कर निर्धारित करती है।

भारतीय आयकर प्रणाली: भारत में, आयकर प्रणाली दो प्रमुख भागों में विभाजित है – निर्धारित आयकर और प्रगतिशील आयकर प्रणाली। निर्धारित आयकर प्रणाली में, आयकर का दर स्थिर होता है और व्यक्ति की आय के आधार पर कर निर्धारित किया जाता है। प्रगतिशील आयकर प्रणाली में, कुल आय पर कर दर की धीमी बढ़ोतरी की जाती है, जिससे अधिक आय के लोगों को अधिक कर देना पड़ता है।आयकर भरने की प्रक्रिया: आयकर भरने की प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। सबसे पहले, व्यक्ति को आयकर रिटर्न फॉर्म भरना पड़ता है, जिसमें उन्हें अपनी आय के विवरण प्रदान करने की आवश्यकता होती है। फिर, उन्हें आयकर विभाग को आयकर रिटर्न जमा करना पड़ता है, जिसके बाद विभाग उनकी आय का मूल्यांकन करता है और कर निर्धारित करता है।आयकर के प्रकार: भारत में कई प्रकार के कर होते हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं – आयकर, वस्त्र निरीक्षक कर, सेवा कर, व्यक्तिगत लाभ कर, एडवाइजरी फीस, एग्रीकल्चर कर, स्वच्छ भारत कर, कृषि विकास कर, यातायात व्यय कर, केन्द्रीय सेवा कर, राज्य सेवा कर, जीएसटी, सीजीसी, आदि।

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