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कौन थे कर्पूरी ठाकुर? जिन्हे मिलेगा भारत रतन(BHARAT RATAN)2024

कौन थे कर्पूरी ठाकुर
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बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रतन दिया जायेगा उन्हें मरणोपरांत भारत रतन से सम्मानित किया जायेगा कर्पूरी ठाकुर की 100 वी जयंती से 1 दिन पहले राष्ट्रपति भवन की ओर से ये ऐलान किया गया था चलिए जानते है कौन थे कर्पूरी ठाकुर? जिन्हे मिलेगा भारत रतन(BHARAT RATAN)2024

कौन थे कर्पूरी ठाकुर ?

कर्पूरी ठाकुर 2 बार बिहार के मुख्यमंत्री और 1 बार उपमुख्यमंत्री रहे ये बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे इन्होने विधायक के रूप में शुरुआत तब की थे जब उन्होंने 1952 का चुनाव जीता और 1985 में अपने आखरी विधानसभा चुनाव तक विधायक बने रहे
5 मार्च 1967 से 28 जनवरी 1968 तक बिहार के शिक्षा मंत्री भी रहे
बिहार के समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर को जननायक के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने पिछड़ी जातियों के हितो की वकालत की थी भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें जेल में भी डाला गया था

कर्पूरी ठाकुर के ऐतिहासिक निर्णय

कर्पूरी ठाकुर ने नवंबर 1978 में बिहार में सरकारी सेवाओं में पिछड़ी जातियों के लिए 26 % आरक्षण का रास्ता साफ़ किया था
उनके ही प्रयासों से 1990 के दशक में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी के आरक्षण के लिए मंडल आयोग के सिफारिश लागु हुई थी
ठाकुर नाई समुदाय से थे और उनके गांव का नाम अब कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है यह एक राजपूत बहुल गांव है जो समस्तीपुर जिले में है
वही ठाकुर 1984 के लोकसभा चुनावो में जब उन्होंने कई गैर कांग्रेसी उम्मीदवारों के साथ समस्तीपुर से चुनाव लड़ा तो उन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा यह वह दौर था जब इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद सहानभूति लहर चली थी और कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए थे
ठाकुर दिसंबर 1970 में पहली बार राज्य के CM बने उनकी सरकार गठबंधन की सरकार थी ठाकुर ऐसे समय में सीएम बने जब राज्य राजनितिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था इसलिए उनका कार्यकाल जून 1971 तक बमुश्किल 6 महीने तक ही चल पाया बाद में वह जून 1977 में जनता पार्टी के सीएम बने
और करीब 2 साल तक सत्ता में रहे ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकि उनके अपने मुख्य सहयोगी भारतीय जनसंघ बीजेपी के साथ मतभेद रहे और भी कई कारण थे जिसकी वजह से ये सरकार गिर गयी थी
ठाकुर जो 26% मॉडल लाये थे उसमे ओबीसी समुदायों को 12% हिस्सेदारी मिली थी ओबीसी में से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 8% हिस्सेदारी मिली थी महिलाओ को 3% और ऊँची जातियों में से आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को भी 3% हिस्स्सेदारी मिली थी यानि आज आप जो नरेंद्र मोदी सरकार में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10% का कोटा देख रहे है यह नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागु करने से बहुत पहले की बात है
महत्वपूर्ण निर्णय : मीट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी को अनिवार्य विषय में से हटाना , शराबबंदी;सरकारी ठेको में, बेरोजगार इंजीनियरों को वरीयता,

जीवन के कुछ महत्वपूर्ण क्षण

कुल मिलाकर ठाकुर के जीवन को आप ऐसे समझ सकते है की एक तो जब वे एक स्वतंत्रता सेनानी और कट्टर समाजवादी थे जिन्होंने जयप्रकाश नारायण, डॉ. राम मनोहर लोहिया और रामनन्दन मिश्रा के साथ 1942 से 1967 तक काम किया था फिर वे राज्य के मुख्यमंत्री और सबसे बड़े समाजवादी नेता बने
यह बात 1970 से 1979 की है और उनके बाद के वर्ष 1980 से 1988 जब वे अपनी राजनीतिक पहचान को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे यह भी जान लीजिए की बिहार में सत्ताधारी जेडीयू और आरजेडी लगातार कर्पूरी ठाकुर को भारत रतन दिए जाने की मांग करती रही है

भारत रतन पुरुस्कार से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

भारत रतन देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है जो किसी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा को मान्यता देने के लिए दिया जाता है ये सम्मान राजनीति,कला,साहित्य,विज्ञानं के क्षेत्र में किसी विचारक,वैज्ञानिक,उद्योगपति, लेखक और समाज सेवी को दिया जाता है
भारत रतन देने की शुरुआत 2 जनवरी 1954 को उस समय के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी
सबसे पहले आज़ाद भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन और साइंटिस्ट डॉ. चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1954 में भारत रतन दिया गया था

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