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दक्षिण भारत के राज्य अलग राष्ट्र के रूप में? क्यों कहा ऐसा DK Suresh ने, जानिए पूरी बात

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कर्नाटक में कांग्रेस के MP DK Suresh द्वारा एक ऐसी बात कही गयी जिसके बाद एक बहुत बड़ा विवाद खड़ा हो गया है उनके द्वारा ये कहा गया है की दक्षिण भारत के राज्यों को अपने को अलग देश बनाने को लेकर मांग करनी चाहिए लेकिन आखिर उन्होंने ऐसा कहा क्यों ?

दक्षिण भारत के राज्य

कर्नाटका के डिप्टी चीफ मिनिस्टर डी के शिवकुमार के भाई डी के सुरेश जो कर्नाटका से संसद है और कांग्रेस पार्टी से आते है उन्होंने दक्षिण भारत के राज्यों के लिए ये बात कही की अब दक्षिण भारत के राज्यों को अपने को एक अलग देश बनाने को लेकर मांग करनी चाहिए ये सारे मामले का केंद्र यूनियन बजट जो अभी हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारामजी द्वारा पेश किया गया था उसको लेकर उन्होंने ये बात कही और सवाल किया की जो भी टैक्स साउथ इंडिया से एकत्र किया जाता है जैसे तमिलनाडु,कर्नाटक,केरल से जो टैक्स आता है वो ज्यादातर उत्तर भारत में बाँट दिया जाता है और इसकी वजह से दक्षिण भारतीय राज्यों को उनका जो वाजिब हिस्सा है वो नहीं मिल पता है

डी के सुरेश द्वारा ये भी कहा गया की कर्नाटक के तरफ से लगभग 4 लाख करोड़ तक का टैक्स और कस्टम ड्यूटी केंद्र सरकार एकत्र करती है लेकिन उसके बदले में जो सही प्रोपोरशन कर्नाटक को मिलना चाहिए वो नहीं मिल पता है

इसके अलावा उनके द्वारा बजट पर ये कहा गया की ये बस एक इलेक्शन बजट है जिसका केवल नाम ही अलग है और साथ ही सर्कार पे आरोप देते हुए उन्होंने कहा की सरकार के द्वारा बहुत सी ऐसे स्कीम इंट्रोड्यूस किये जा रहे है जिनका संस्कृत और हिंदी नाम है यहाँ केंद्र सरकार दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है और अगर यही लगातार चलता रहा तो हम एक अलग देश की मांग करेंगे

दक्षिण भारत के राज्य के लिए वित्त आयोग का नज़रिया


15वे वित्त आयोग के लिए उन्होंने कहा की उन्होंने हमारी बात को नहीं सुना और जो हमे पैसा मिलना चाहिए था उसमे हमारे साथ अन्याय हुआ है उन्होंने कहा की 15वे वित्त आयोग को 2011 के जनगणना का डाटा ना लेकर 1971 की जनगणना को हमारे लिए प्रयोग में लाना चाहिए क्यूंकि पापुलेशन कण्ट्रोल पर जितना काम साऊथ इंडिया के राज्यों ने किया उतना उत्तर भारत के राज्यों में नहीं हुआ है इसी वजह से साउथ इंडिया के राज्यों में जो जनसख्याँ को सीमित किया गया है उसको ध्यान में रखते हुए 1971 का जो डाटा है जो जायदा उपयुक्त दिखाई देता है वित्त आयोग द्वारा राज्यों को देने वाले पैसो में एक पैमाना राज्य की जनसँख्या भी है जिस को देखते हुए ही किस राज्य को अनुदान दिया जाता है, जबकि 15वे वित्त आयोग द्वारा demographic performance के आधार पर यानि की जिन राज्यों ने पापुलेशन को कंट्रोल करने अच्छा काम किया है उनको 12.5% अधिक अनुदान दिया जायेगा इसका अर्थ है की 15वे वित्त आयोग ने साउथ इंडिया के राज्यों को मद्देनज़र रखा 15वे वित्त आयोग के अध्यक्ष N K सिंह थे और जो 2020 से लेकर 2026 तक लागू हो रखा है वो ऐसी आशा रखते है की जो 16वा वित्त आयोग है वो उनकी बात को सुनेगा 16वे वित्त आयोग का गठन पहले ही सरकार कर चुकी है और इसको 1 अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक लागू किया गया है,इसके चेयरमैन अरविन्द पंगरिया है जो की नीति आयोग के वाईस चेयरमैन रह चुके है वित्त आयोग एक संवैधानिक हिस्सा है और इसका काम है की जो भी पैसा केंद्र सरकार के पास आ रहा है वो किस तरह से कितने अनुपात में किस राज्य को दिया जायेगा और कितना केंद्र के पास|

दक्षिण भारत के राज्य को बीजेपी का जबाब

इस सब का विरोध करते हुए कर्नाटका में बीजेपी ने कहा की कांग्रेस एक बार फिर से देश को बाटने की राह खोज रही है,जो की देश पहले भी देख चूका है और अगर कांग्रेस लीडर देश में नहीं रहना चाहते तो उनका भारत छोड़ो में स्वागत है
बेंगलुरु सांसद तेजस्वी सूर्य ने कहा की अगर आप तुलना करे 2009-14 के बीच जब कांग्रेस की सरकार थी तो उस समय कर्नाटका को 54000 करोड़ मिला था लेकिन 2014 के बाद जब बीजेपी आयी तब 2014-19 के बीच में हमने करीब 91000 करोड़ कर्नाटक को दिए यानि की 148% की बढ़त और इस सबके अलावा भी सरकार के द्वारा बहुत सरे मिशन और प्रोजेक्ट साउथ इंडिया में चलाये जा रहे है साथ ही उन्होंने कहा की हम कोई भेदभाव नहीं कर रहे है जिसको जितना मिलना छाए उतना दे रहे है साथ ही सरकार और भी विकास कार्य सभी क्षेत्रो में भारत के चला रही है

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