Ndtv connect

पुलिस वालो पर एक्शन में सरकार हल्द्वानी हिंसा में 6 की मौत के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद की क्या मांग

Rate this post

हल्द्वानी में अवैध मदरसे पर बुलडोजर कार्रवाई के बाद, पिछले कुछ दिनों में हिंसा का दौर आया। हमलावरों ने एक पुलिस टीम पर हमला किया, जिससे बनभुलपूरा थाना आग में लिपट गया। इस हिंसा में छह व्यक्तियों की मौत हो गई, जबकि 100 से अधिक लोगों को चोटें आईं.

Screenshot 2024 02 13 120819 3

बड़े मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शनिवार को प्रशासन को इस हिंसा के लिए ‘बर्बरता’ का आरोप लगाया, और मारे गए व्यक्तियों के परिजनों को संबद्ध मुआवजा देने की मांग की। संगठन की कार्य समिति ने शनिवार को इस मुद्दे के साथ अन्य मामलों पर चर्चा की और राज्य सरकार से जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की अपील की

हल्द्वानी पुलिस वालो पर एक्शन

जमीयत द्वारा जारी बयान के अनुसार, संगठन के नेता मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “हम उत्तराखंड सरकार से मांग करते हैं कि हल्द्वानी में जिन निर्दोष लोगों की पुलिस द्वारा गोलियों से हत्या की गई है, उनके परिवारों को न केवल उचित मुआवजा दिया जाए, बल्कि पीड़ित परिवारों के प्रत्येक सदस्य को सरकारी नौकरी भी प्रदान की जाए ताकि उन्हें भुखमरी और उत्पीड़न से बचाया जा सके।” उन्होंने कहा, “गोलियां चलाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए… लोगों के खिलाफ बर्बरता की गई है।”

मदनी ने कहा, “अगर राज्य सरकार किसी पुलिसकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती और पीड़ितों के लिए उचित मुआवजा घोषित नहीं करती है, तो जमीयत उलेमा-ए-हिंद जल्द ही इसके खिलाफ अदालत में जाएगी।” यह ध्याननीय है कि हल्द्वानी के बनभूलपुरा में एक अवैध रूप से निर्मित मदरसे को ढहाने के बाद आठ फरवरी को क्षेत्र में हिंसा की धड़कन हुई थी।

इस हिंसा में 6 लोगों की को जान गावनि पड़ी और अभियान और रेपोटर सहित 100 से अधिक लोग चोटिल हो गए थे। इस हिंसा का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक कहा जा रहा है, जो वर्तमान में पुलिस गिरफ्त से दूर है। पुलिस को यह आशंका है कि वह विदेश में भाग गया है अगर वह विदेश भाग गया तो पुलिस परसासन की नाकामी देखने को मिलेगी इतना बड़ा मास्टर माइंड अगर हिंसा करवा कर देश से भाग जाये तो नाकामी किसकी मणि जाये

जमीयत उलेमा-ए-हिंद

जमीयत उलेमा-ए-हिंद” भारतीय इस्लामिक समुदाय की एक महत्वपूर्ण सामाजिक और धार्मिक संगठन है। इस संगठन का गठन 1919 में हुआ था और इसका मुख्यालय नई DELHI में स्थित है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समाज के शिक्षा और सामाजिक उत्थान में सहायता करना है। इसके संस्थापकों में शामिल थे मौलाना महमूद हसन और मौलाना अबुल लैस मुहम्मद सलाम के साथ अन्य विद्वानों का समूह था।

“जमीयत उलेमा-ए-हिंद” का मुख्य उद्देश्य है मुस्लिम समाज के शिक्षा क्षेत्र में सुधार करना और उसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से मजबूत बनाना। यह संगठन मुस्लिम युवाओं को शिक्षा के क्षेत्र में स्थानांतरित करने के लिए अनुदान प्रदान करता है, उन्हें स्कूल और कॉलेजों में प्रवेश दिलाता है, और उनकी प्रोफेशनल विकास के लिए प्रोत्साहित करता है।

इस संगठन का एक और महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र है सामाजिक सुधार और विकास। जमीयत उलेमा-ए-हिंद विवाह योजना, आर्थिक सहायता, स्वास्थ्य सेवाएं, और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से गरीब और असहाय लोगों की मदद करता है। इसके तहत गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा की सुविधा भी प्रदान की जाती है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की अद्भुत विशेषता यह है कि यह संगठन धर्मिक शिक्षा और अन्य सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से मुस्लिम समाज की गरीबी, अशिक्षा, और अस्वास्थ्यता के खिलाफ लड़ाई लड़ता है। इसका मुख्य लक्ष्य है समाज के गरीब वर्गों को शिक्षित और सशक्त बनाना ताकि वे आगे बढ़ सकें और समाज में अपनी जगह बना सकें।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के कार्यक्रमों और परियोजनाओं ने देश भर में मुस्लिम समाज के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसकी विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं ने लाखों लोगों को आर्थिक, शैक्षिक, और सामाजिक रूप से सशक्त किया है।

Exit mobile version