नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक ठहराते हुए इस पर रोक लगा दी है।
सीजेआई ने एकमत से फैसला देते हुए कहा कि एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से जानकारी सार्वजनिक करनी होगी। एसबीआई यह जानकारी ईसी को देनी होगी और चुनाव आयोग इस जानकारी को साझा करेगा। वास्तव में, पिछले साल नवंबर में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की थी।
पीठ में न्यायधीस संजीव खन्ना जी , बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की एक बैंच ने लगातार तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 (1) के तहत नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का हनन करती है, यह पिछले गेट से लॉबिंग को परिपूर्ण बनाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। साथ ही, विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को समाप्त करती है।
अनुच्छेद 19 दिसम्बर 31, 1954 को भारतीय संविधान के तहत शामिल किया गया था। यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का कार्य करता है। इस अनुच्छेद में नागरिकों को विचार, धर्म, आस्था, सम्पत्ति, और स्वतंत्रता के अधिकारों की रक्षा की गारंटी दी गई है। यह भारतीय नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों को विकास, संरक्षण, और सुरक्षा करने का दायित्व देता है। अनुच्छेद 19 में संविधानिक रूप से निर्धारित किए गए कई महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है। यह अनुच्छेद न्यायिक रूप से प्रमुखता प्राप्त है और संविधानिक संरक्षा का विषय है।
चुनौती का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि इस योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में नकदी को कम करना है। एस-जी मेहता ने जोर देकर कहा कि चुनावी बॉन्ड के जरिए किए गए दान का विवरण केंद्र सरकार तक नहीं जान सकती। उन्होंने एसबीआई के चेयरमैन द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र को रिकॉर्ड पर रखते हुए कहा था कि अदालत के आदेश के बिना विवरण तक नहीं पहुंचा जा सकता। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि पांच महत्वपूर्ण विचार हैं : ‘
सुप्रीम कोर्ट भारतीय न्याय प्रणाली
सुप्रीम कोर्ट भारतीय न्याय प्रणाली का सर्वोच्च न्यायिक संस्थान है, जो देश की संविधानिक मान्यताओं की रक्षा और न्यायिक निर्णयों की प्रमाणिकता सुनिश्चित करता है। सुप्रीम कोर्ट का स्थान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के अंतर्गत है, जो कि भारत के न्यायपालिका संरचना और कार्यक्षेत्र को विवरणित करता है।
सुप्रीम कोर्ट का मुख्य उद्देश्य भारतीय संविधान की धार्मिकता और न्यायिक निर्णयों की प्रमाणिकता को सुनिश्चित करना है। यह न्यायपालिका के तीन आधिकारिक स्तरों में से सर्वोच्च स्तर पर स्थित है, जो उच्चतम न्याय विचार के लिए प्राधिकृत है। सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख कार्य विवादित मामलों और न्यायिक मुद्दों पर निर्णय देना है, जिसमें संविधान की धाराओं और कानूनी अधिनियमों के अनुसार निर्णय किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक सदस्यों का चयन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है, जिनका चयन विशेष समितियों द्वारा किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक सदस्यों के पद की अवधि के लिए अलग-अलग निर्धारण होता है, जो व्यक्तिगत और व्यक्तिगत प्रावधानों पर निर्भर करता है।