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Gyanvapi Masjid Verdict:30 साल बाद रात 2 बजे ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में हिन्दू पक्ष को मिला पूजा का अधिकार

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Gyanvapi Masjid Verdict: काफी समय से चल रहे विवाद के बीच कल कोर्ट का फैसला आया की ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा करने की तैयारी की जाये हलफनामे में दिखाया गया 1993 तक पूजा होती आयी सिंगार गौरी की उसके बाद अचानक से बंद करवा दी गयी थी ये मुकदमा कोई नया नहीं है

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1947 से चला आ रहा विवाद अभी ASI सर्वे में हुआ साफ जिस एरिया में मज़ीद बनी है वह मंदिर को तोड़ कर बनाई गयी है और बनने में इस्तिमाल होने वाला मलवा पाया गया है हनुमान जी की मूर्ति समेत अनेको नकाशी देखने को मिली है जो यह साबित करती है वह मंदिर होने का प्रमाण देती वह के कलाकृति वाली दीवारे डिज़ाइन, भगवान की मूर्ति

Gyanvapi ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा

कोर्ट में काफी समय तक मुकदमा चलने के बाद जब कोई निर्णय निकल कर नहीं आया उसके बाद कोर्ट ने वैज्ञानिक सर्वे के लिए आदेश दिया ASI नामक एजेंसी ने सर्वे करते हुए अनेको फोटो ग्राफ़ी और स्ट्रक्चर के बारे में जाँच करने के बाद पाया की उसमे हिन्दू मंदिरो के प्रमाण देखने को मिले खम्बो और दीवारों पर जिस रिपोर्ट और फोटो को कोर्ट के समक्ष रखा जिसको देखते हुवे कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा की 7 दिनों में ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा शुरू करवाई जाये आदेश आते ही 2 दिनों में वहां प्रशासन के मौजूदगी में आज पूजा शुरू करवा दी गयी है

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कोर्ट के फैसले से नाराज मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट जाने की कह रहे है वही हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन खुश दिखे और बताया हमारे पास सबूत है ASI सर्वे के रिपोर्ट है और यहाँ तक बोले जैन की हाईकोर्ट में प्रूफ करने के लिए काफी कुछ उनके पास है।उनका कहना है ऊपर का गुम्बद और नीचे की दिवार दोनों में काफी फर्क है और सर्वे में पता चला है दिवार काफी पुरानी है और उसपर जो नक्काशी बनी हुई है उन चीजों का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं हनुमान जी की मूर्तियों का और दिवार पर त्रिशूल का क्या काम ? इस बात से चुप दिखे मुस्लिम पक्षकार को एक बार कोर्ट’ने आपस में सलाह करने का आदेश दिया था लेकिन शंकर जैन ने मना करते हुए कहा की उस एरिया को खाली करवाया जाये।

Gyanvapi Masjid कब बनी कैसे बनी

ज्ञानवापी मस्जिद, वाराणसी, भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जिसका नाम गंगा नदी के किनारे स्थित बनारस शहर के पुराने क्षेत्र में है। इसे ही “भूगोल मस्जिद” या “विश्वनाथ मस्जिद” कहा जाता है। यहां एक हिन्दू मंदिर का स्थान भी है, जिसे ग्यानवापी मंदिर कहा जाता है, जो 17वीं सदी में बनाया गया था और जिसे आक्रमणकारियों ने बर्बरता दिखाकर ध्वस्त कर दिया था।

ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण मुग़ल सम्राट औरंगजेब ने 1670 ईसा पूर्व में कराया था। इसे भगवान विश्वनाथ के मंदिर के स्थान पर बनाया गया था, जिसे आक्रमणकारियों ने तबाह कर दिया था। मस्जिद के निर्माण के समय की रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि अंग्रेज नेताओं ने भी इसमें शामिल होकर उपस्थित थे और निर्माण कार्य में सहायक हो रहे थे।

इस मस्जिद का निर्माण भारतीय इतिहास में विवाद का कारण बना रहा है और इसे स्थानीय समुदायों के बीच ट्रस्ट और सरकार के बीच दिवंगति का कारण बना हुआ है इसके स्थान पर एक समझौता स्थिति बनाने की कवायदें चल रही हैं, लेकिन इसमें सम्पूर्ण सहमति नहीं है और विवाद जारी है।

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कोर्ट के फैसले के बाद पूजा शुरू कर दी गयी है, देखना ये है की मुस्लिम पक्ष इस फैसले का स्वागत करेगा या विरोध ? इस्लाम के मुताबिक दूसरे धर्मस्थल पर कब्ज़ा करना या गलत तरीके से वहां नमाज़ पढ़ना गलत बतया गया है लेकिन दीवारों से खम्बो तक साफ दिख रहा है की हिन्दू मंदिर को तोडा गया है उसके बाद भी मुस्लिम पक्ष इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं की ये एरिया हिन्दू मंदिर का है अब देखते है आगे क्या विवाद रहता है और क्या फैसले आते है।

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